A podcast which consists the collection of some deep meaning bilingual verses by Raaz
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ग़ज़ल 2: शर्त ए है कि कोई शर्त न रखी जाए
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ज़िंदगी को छूती हुई एक नई ग़ज़ल
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वही क़ातिल, वही शाहिद, वही मुंसिफ़ रहा मेरा जहाँ ख़ंजर, वहीं गरदन, यही अंदाज था मेरा मेरा पहलू, तेरा आँचल, कभी तो बेसब़ब मिलते जहाँ मिलते, वहीं लगता, फलक से वास्ता मेरा
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