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पिता की मामूली किराना दुकान को बनाया स्मार्ट स्टोर, हुआ 5 करोड़ का मुनाफा

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कहते हैं कि संर्घष की शक्ति से वक्त को बदला जा सकता है. उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में रहने वाले वैभव अग्रवाल ने इस बात को सच कर दिखाया है. वैभव को अपने पिता संजय अग्रवाल से जो किराने की दुकान विरासत में मिली, वो 10X20 स्क्वैयर फीट की थी. इस दुकान को अपनी मेहनत के बदौलत उन्होंने नए कामयाब स्टार्टअप का रूप दे दिया. आज वो 100 से अधिक किराना स्टोर्स को स्मार्ट स्टोर बना चुके हैं. बता दें अपने स्टार्टअप का नाम उन्होंने ‘द किराना स्टोर कंपनी’ रखा है और इस काम से वो 5 करोड़ रुपए का मुनाफा कमा रहे हैं.

वैभव के अनुसार उनके पिता की सहारनपुर में ही ‘कमला स्टोर’ के नाम से किराने की दुकान थी. साल 2013 तक वो इसी दुकान में पिता की सहायता करते रहे और फिर कॉलेज कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए मैसूर चले गए. वहां उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में रिटेल मार्केटिंग का तरीका सीखा. करीब एक साल तक वो रिटेल मार्केटिंग पर अपनी शोध करते रहे और प्रोडक्ट मिक्स तकनीक को गहराई से समझा. रिटेल मैनेजर के पद पर रहते हुए उन्होंने पाया कि हर 1 किलोमीटर की दूरी पर कैसे प्रोडक्ट का टेस्ट, मांग, सप्लाई और यहां तक की प्रेजेन्टेशन और पैकेजिंग तक में अंतर आ जाता है.

इस काम को और अच्छे ढ़ंग से जानने के लिए 2015 में वैभव ने दिल्ली में बिज़नेस मैनेजमेंट से मास्टर्स किया. यहां एकेडेमिक्स और फैकल्टी की मदद से वो रिटेल मार्केटिंग पर शोध करते रहे. अपनी गहन साधना को पूरा करने के बाद 2018 में वो एक बार फिर अपने पिता की दुकान पर आए.

वैभव ने ग्रॉसरी स्टोर के हर चीज में बदलाव किया तो शुरू में लोग हंसे, अपने स्टोर पर वो नए उत्पाद को लाए, उत्पादों को रखने का तरीका बदला, घाटे वाले उत्पादों को हटाया, महंगे उत्पादों के बदले वह सस्ते विकल्प उत्पाद लेकर आए. स्टोर में नए तरीके से लाइटिंग, पेंटिंग की गई. आखिरकार उनकी मेहनत पर ग्राहकों का ध्यान जाने लगा और ग्राहकों की संख्या अचानक बढ़ने लगी.

हुआ 5 करोड़ का मुनाफा

एक ही साल के अंदर वैभव को अपने दुकान से 8 गुणा अधिक मुनाफा हुआ. उसके बाद तो वो एक के बाद एक पुराने स्टोर की काया पलटने लगे. उनकी नई सोच से एक तरफ किराना मालिकों को ऊंचे दाम और अच्छा मुनाफा मिल रहा है वहीं ग्राहकों को भी प्रोडक्ट्स लेने में सुविधाएं हो रही है. मार्च 2020-21 तक के मुनाफे को जोड़ दिया जाए, तो वैभव ने 5 करोड़ रुपए तक का प्रोफिट कमाया है.

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वैभव के अनुसार उनके पिता की सहारनपुर में ही ‘कमला स्टोर’ के नाम से किराने की दुकान थी. साल 2013 तक वो इसी दुकान में पिता की सहायता करते रहे और फिर कॉलेज कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए मैसूर चले गए. वहां उन्होंने एक मल्टीनेशनल कंपनी में रिटेल मार्केटिंग का तरीका सीखा. करीब एक साल तक वो रिटेल मार्केटिंग पर अपनी शोध करते रहे और प्रोडक्ट मिक्स तकनीक को गहराई से समझा. रिटेल मैनेजर के पद पर रहते हुए उन्होंने पाया कि हर 1 किलोमीटर की दूरी पर कैसे प्रोडक्ट का टेस्ट, मांग, सप्लाई और यहां तक की प्रेजेन्टेशन और पैकेजिंग तक में अंतर आ जाता है.

इस काम को और अच्छे ढ़ंग से जानने के लिए 2015 में वैभव ने दिल्ली में बिज़नेस मैनेजमेंट से मास्टर्स किया. यहां एकेडेमिक्स और फैकल्टी की मदद से वो रिटेल मार्केटिंग पर शोध करते रहे. अपनी गहन साधना को पूरा करने के बाद 2018 में वो एक बार फिर अपने पिता की दुकान पर आए.

वैभव ने ग्रॉसरी स्टोर के हर चीज में बदलाव किया तो शुरू में लोग हंसे, अपने स्टोर पर वो नए उत्पाद को लाए, उत्पादों को रखने का तरीका बदला, घाटे वाले उत्पादों को हटाया, महंगे उत्पादों के बदले वह सस्ते विकल्प उत्पाद लेकर आए. स्टोर में नए तरीके से लाइटिंग, पेंटिंग की गई. आखिरकार उनकी मेहनत पर ग्राहकों का ध्यान जाने लगा और ग्राहकों की संख्या अचानक बढ़ने लगी.

हुआ 5 करोड़ का मुनाफा

एक ही साल के अंदर वैभव को अपने दुकान से 8 गुणा अधिक मुनाफा हुआ. उसके बाद तो वो एक के बाद एक पुराने स्टोर की काया पलटने लगे. उनकी नई सोच से एक तरफ किराना मालिकों को ऊंचे दाम और अच्छा मुनाफा मिल रहा है वहीं ग्राहकों को भी प्रोडक्ट्स लेने में सुविधाएं हो रही है. मार्च 2020-21 तक के मुनाफे को जोड़ दिया जाए, तो वैभव ने 5 करोड़ रुपए तक का प्रोफिट कमाया है.

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