This will be a podcast of Mahabharat narrated by Atul Purohit in Hindi. I will also talk about the life of Krishna and include content from Srimad Bhagwat and Gita.
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Chandragupt Maurya ki Kahani by Jaishankar Prasad : History Podcast
Audio Pitara by Channel176 Productions
Mauraya Samrajya ke sansthapak Chandragupt ne apni sujhbhujh aur himmat par Bharat ki taraf badhte videshi hamlavar Sikandar ko roka tha. Isi Chandragupt ko kendra mein rakh kar Jayshankar Prasad ne 'Chandragupt' shirshak se natak ki rachna ki hai, jisme Bharatiya itihaas, darshan evam sanskriti ki jhalak milti hai. Aise hi, interesting audio stories aur podcast suniye only on Audio Pitara par. #chandragupt #journey #power #struggles #sacrifices #ancient #india #epic #audiopitara #sunnazaroo ...
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Hi Friends, Main Anil hun aur aapka apne Podcast channel pe swagat karta hun. Isse channel ke madhyam se main apne dil ke kareeb jo kahaaniyaan hai wo aapke dil tak pahuchane ki koshish karunga, to chaliye mere saath dil ko chu leni wali kahaniyon mein bane rehne ke liye isse channel ko subscribe karein. Welcome to my Podcast chanel, Here, you will find a treasure trove of captivating tales, woven with creativity and brought to life through the power of storytelling. From epic adventures to ...
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Are you fascinated by the stories and mythology of ancient India? Do you want to learn more about the epic tale of Ramayana and its relevance to modern-day life? Then you should check out Ramayan Aaj Ke Liye, the ultimate podcast on Indian mythology and culture. Hosted by Kavita Paudwal, this podcast offers a deep dive into the world of Ramayana and its characters, themes, and teachings.
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मनुष्य कभी धन के साथ गरीब नहीं होता, यह कहावत गहरे अर्थों में हमें ध्यान दिलाती है। पैसे की कमी होने पर भी यदि किसी के मन में सच्ची खुशियाँ, संबंध और संवाद की अमीरी होती है, तो वह वास्तविक धन के लाभों से कभी भी गरीब नहीं होता। यह उसे संतुष्ट, समृद्ध और सहज बनाता है, क्योंकि धन केवल एक माध्यम होता है, न कि अंत में सच्ची धन की भूमिका होती है। इस प्रक…
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इस एपीसोड में हम नल और दमयंती की कहानी सुनेंगे। साथ ही साथ हम यह भी देखेंगे कि किस तरह से अर्जुन पांडवों के साथ वापस आ गए हैं। हम दुर्योधन और उसकी सेना को नाकाम होते हुए भी देखेंगे।על ידי Atul Purohit
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Chandragupt - Chaturtha Ank
1:42:18
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Mauraya Samrajya ke sansthapak Chandragupt ne apni sujhbhujh aur himmat par Bharat ki taraf badhte videshi hamlavar Sikandar ko roka tha. Isi Chandragupt ko kendra mein rakh kar Jayshankar Prasad ne 'Chandragupt' shirshak se natak ki rachna ki hai, jisme Bharatiya itihaas, darshan evam sanskriti ki jhalak milti hai. Aise hi, interesting audio stori…
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बाली को मार कर और सुग्रीव का राज्य अभिषेक होने के बाद प्रस्रवण पर्वत पर रहने वाले श्री राम अपने भाई लक्ष्मण से कहते हैं "जल की प्राप्ति कराने वाला वर्षा काल आगया है। पर्वत जैसे मेघो से आकाश मंडल भर गया है। जैसे, कोई तरुणी ९ महीनो के लिए अपने गर्भ में बालक धारण करती है, और फिर उसे जन्म देती है, वैसे, ९ महीनो के लिए आकाश से सूर्य की किरणों द्वारा समं…
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किष्किंधा में हुआ सुग्रीव का राज्याभिषेक
7:18
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कपिराज बाली के अंतिम संस्कार के बाद, पवनपुत्र हनुमान ने सलाह दी कि, क्यूंकि श्री राम ने सुग्रीव को न्याय दिलाने में सहायता करी, इसलिए, सबसे पहले उन्हें और महाराज सुग्रीव को किष्किंधा में पदार्पण करना चाहिए। पर राम ने किष्किंधा में कदम रखने से क्यों मना कर दिया? उन्होंने सुग्रीव को सीता को ढूंढने का प्रयास कब शुरू करने को कहा? सुग्रीव और अंगद का राज…
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तारा, अंगद, सुग्रीव, किष्किंधा की प्रजा, सभी बाली की मृत्यु के कारण विलाप कर रहे थे। तब महारानी तारा की नजर श्रीराम पर पड़ी। वह राम से बोलीं - आपका कोई पार नहीं। आपने अपने इंद्रियों पर मात की है। आपकी कृपा सब पर बरसती है। तो मेरी आपसे प्रार्थना है कि आप मुझे भी मार दीजिए ताकि मैं अपने पति के साथ जा सकूं। जवाब में राम ने तारा से क्या कहा? और लक्ष्मण…
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कपिराज बाली के मृत्यु अब निकट थी। उनकी पत्नी तारा दुख और भावनाओं के सागर में डूबी, कुछ सोच नहीं पास रहीं थीं। तब हनुमान ने कैसे उन्हें सहानुभूति दी? इस दौरान बाली ने, किष्किंधा राज, तारा और अपने बेटे - अंगद को लेकर, सुग्रीव को क्या सलाह दी? और सारे वानरों को शोकाकुल देख, सुग्रीव ने अनपे किये पर पछतावा कैसे व्यक्त किया? आइए जानतें हैं, रामायण आज के …
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बाली के लगाए अधर्म के आरोप का राम ने क्या जवाब दिया?
7:46
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जब बाली की शक्ति के सामने सुग्रीव हारने लगे तब श्रीराम ने बाली पर पेड़ों के पीछे से छुपकर वार किया। इस बात पर घायल बाली ने राम पर आरोप लगाया कि धर्म के अनुसार राम का व्यवहार गलत था। वाली को राम से कोई बैर नहीं था फिर भी राम ने पीछे से उन पर वार किया और उन्हें अपने बचाव का मौका तक नहीं मिला। राम ने वाली के लगाए आरोप पर किस प्रकार प्रति उत्तर दिया? बा…
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बाली वध। राम ने बाली को पीछे से क्यों मारा?
7:24
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बाली ने अपनी समझदार पत्नी तारा की सलाह को अनसुना कर दिया और सुग्रीव के साथ युद्ध करने के लिए वापस रणभूमि में उतर गए। उन्हें लगा कि, क्यूँकि राम धर्म का पालन करते हैं, वह किसी निर्दोष पर वार नहीं करेंगे। पर बाली इस बात का अनुमान नहीं लगा पाए कि पेड़ों के पीछे छिपे राम मौका देखते ही उनपर एक ज़हरीले साँप की तरह दिखनेवाला तीर छोड़ देंगे, जो बाली की छाती …
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राम और लक्ष्मण किष्किंधा की सीमा तक पहुंचकर वहीं वन में छुप गए। इतने में सुग्रीव ने अपने भाई, बाली को द्वन्द्व युद्ध के लिए ललकारा। कुछ ही देर में उन दोनों के बीच भयंकर लड़ाई शुरू हुई। आश्चर्य की बात यह थी कि वह दोनों कपि बिल्कुल एक दूसरे की तरह दिख रहे थे। श्री राम समझ ही नहीं पाए कि बाली कौन है और सुग्रीव कौन। जब सुग्रीव अपनी जान बचाकर भागे, तब रा…
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सुग्रीव ने राम के कौशल का प्रमाण कैसे लिया?
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जब सुग्रीव ने राम और लक्ष्मण को बाली की कहानी सुनाई, तब उन्हें सूर्यपुत्र कपिराज की शक्ति और कमज़ोरी दोनों का प्रमाण मिला। कहानी के अंत में सुग्रीव ने राम को रिश्यामुख पर्वत पर दुंदुभि राक्षस की सूखई हुई हड्डियों का ढेर भी दिखाया। तब राम और लक्ष्मण दोनों को कहानी का तात्पर्य समझ में आया। वास्तव में सुग्रीव राम की शक्ति का प्रमाण देखना चाहते थे। जवाब…
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अब तक हमने सुना कि कैसे बाली ने सुग्रीव पर आरोप लगाकर उन्हें राज्य से बाहर निकाला था। इतना ही नहीं सुग्रीव की पत्नी, रोमा को बाली ने राज्य में कैद करके रखा था। सुग्रीव को श्री राम की मित्रता पर विश्वास तो था, लेकिन वह उन्हें बाली के शौर्य के बारे में भी बताना चाहते थे, क्यूंकि युद्ध में आक्रमण करने से पहले, शत्रु की शक्ति का प्रमाण लिया जाता है। तो…
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सीता के आभूषण देखकर राम विचलित हो गए। पर सुग्रीव के मीठे शब्दों से, उनके सांत्वन से, वह संभल भी गए। फिर राम ने सुग्रीव से सीता और रावण को ढूंढने की सलाह मांगी। साथ ही उन्होंने सुग्रीव को दिए हुए वचन को पूरा करने का आश्वासन दिया। उसके बाद सुग्रीव की समस्या समझने के लिए राम ने उन्हें अपनी पूरी कहानी विस्तार से सुनाने को कहा। जवाब में सुग्रीव ने अपने …
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सुग्रीव और राम ने मित्रता निभाने की शपथ ली
7:38
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ऋष्यमुख पर्वत पर पहुंचकर हनुमान ने कपिराज सुग्रीव के सामने राम और लक्ष्मण को अपने कंधे से उतारा और सारा वृतांत सुग्रीव को सुनाया। सुग्रीव यह सुनकर बहुत खुश हुए कि श्री राम उनसे मित्रता करना चाहते हैं और कहा की उनके लिए ये अभिमान की बात होगी। ये जानकर, श्री राम ने उन्हें गले से लगाया। फिर दोनों ने अग्नि के समक्ष मित्रता निभाने की शपथ ली। इसके बाद सु…
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सुग्रीव की आज्ञा अनुसार, ब्राह्मण का भेस लेकर, हनुमान, राम और लक्ष्मण की जानकारी लेने के लिए पाम्पा सरोवर पहुँचे। हनुमान ने उन दोनों को विनम्रता से वंदन किया। फिर उन्होंने इन दीप्तिमान अजानुबाहू मनुष्यों से उनका परिचय कैसे माँगा? राम ने हनुमान के व्यव्हार से उनके चरित्र के बारे में क्या निष्कर्ष निकला? लक्ष्मण ने सुग्रीव को लेकर अपने इरादों के बारे…
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राम के जीवन में अब शुरू होता है किष्किन्धा काण्ड
7:47
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कर्नाटक के हम्पी क्षेत्र को आज भी किष्किन्धा के नाम से जाना जाता है। यह एक समय में सुग्रीव की राजधानी हुआ करती थी, जहाँ राम और लक्ष्मण, सीता को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते पहुँचे। वसंत ऋतु में पाम्पा सरोवर की सुंदरता देख, सीता के विरह में राम और भी दुखी हुए। राम को भावुक देख, लक्षमण उन्हें अपने मन पर नियंत्रण रखने की सलाह देने लगे। पर दोनों भाइयों की बातचीत के …
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शबरी कौन थीं? और राम से उनकी भेंट कैसे हुई?
7:07
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कबंध के बताये रास्ते से होते हुए राम और लक्ष्मण पाम्पा सरोवर के पास ऋष्यमूक पर्वत पर पहुँचे। वहाँ उन्हें भक्त और विदुषी शबरी मिलीं, जो जंगल में रहने वाली जनजाती से थीं। लेकिन उनके चहरे पर उनकी साधना और योग का तेज था। राम और लक्ष्मण से मिलने पर शबरी ने उनका स्वागत कैसे किया? उन्होंने दोनों भाइयों को मातंग वन के बारे में क्या बताया? और राम ने शबरी का…
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राक्षस कबंध ने राम को सुग्रीव और शबरी के बारे में बताया
8:53
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राम और लक्ष्मण ने कबंध को मारने के बाद उसका शरीर जला दिया। चिता से कबंध का सुन्दर दिव्य रूप निकल आया, जिसे स्वर्ग ले जाने के लिए दैवी विमान आ खड़ा हुआ। पर जाने से पहले, उसने राम को सीता तक पहुँचने की तरक़ीब बताई। कबंध ने दोनों भाइयों को सुग्रीव का परिचय कैसे दिया? उसने क्या सोचकर कहा की सीता को ढूंढने में सुग्रीव सक्षम रहेंगे? फिर कबंध ने राम और लक्ष…
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राम ने कबन्ध राक्षस का उद्धार कैसे किया?
8:15
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सीता को बचाने की कोशिश करते-करते जटायु ने अपने प्राण गवा दिए। गृद्धराज की मृत्यु से राम को बहुत दुख हुआ और उन्होंने जटायु का अंतिम संस्कार, विधि-अनुसार, अपने हाथों से किया। इसके पश्चात वह लक्ष्मण के साथ सीता की खोज में दक्षिण दिशा में निकल गए। कुछ समय बाद वह क्रौंच जंगल पहुंचे। वहाँ अयोमुखी नामक राक्षसी से मिलने पर राम और लक्षमण ने क्या किया? और फि…
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राम को सीता के अपहरण के बारे में किसने बताया?
8:35
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जब राम को सीता के संघर्ष के संकेत मिले, तब उनका क्रोध उनके आपे से बाहर हो गया। वह बदले की आग में सारे लोकों को नष्ट करने निकले। ऐसे में लक्ष्मण ही उन्हें रोक सकते थे। लक्ष्मण ने राम का क्रोध शांत करने के लिए ऐसी क्या बात कही, जो आज भी मसाल के तौर पर इस्तेमाल की जाती है। जब दोनों भाइयों ने सीता की खोज फिर शुरू करी तब उन्हें घायल जटायु मिले। राम ने क…
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राम और लक्ष्मण को सीता के अपहरण के चिंह मिले
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सीता को आश्रम में ना पाकर भग्वान-रूपी राम मनुष्य के भाँती अधीर होने लगे। आख़िरकार लक्ष्मण के अलावा उन्होंने सीता से ही अपना सारा दुःख बांटा था। राम को लाचार देख, लक्षमण ने उनका सांत्वन कैसे किया? शांत होने पर, जब राम सीता को खोजने के लिए आगे बढ़े, तब किस प्राणी के समूह ने उनकी मद्दत करी? सुझाव अनुसार जब दोनों भाई दक्षिण दिशा में चलने लगे, तो उन्हें …
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राम को कैसे पता चला कि सीता संकट में थीं?
7:13
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फिछले episode में हमने सुना कि कैसे देवों ने लंका-बधित सीता को खीर खिलाकर यह सुनिश्चित किया कि वह जीवित रहें। वहाँ दूसरी तरफ़ राम मारीच को मारकर आश्रम की ओर भागे। रस्ते में आसपास के जानवरों की बेचैनी देख वह समझ गए थे की सीता ख़तरे में हैं। कुछ ही क्षणों में उन्हें लक्षमण मिले, जो सीता के कहने पर राम को ढूंढने निकले थे। एक दूसरे को देखते ही वह दोनों स…
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सीता ने रावण से दूरी बनाये रखने के लिए क्या किया?
8:00
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सीता रावण का इरादा अब अछि तरह से समझ गयीं थीं। क्यूंकि रावण एक परपुरुष था और उन दिनों विवाहित स्त्रियाँ उनसे पर्दा करतीं थीं, इसलिए सीता ने अपने और रावण के बीच, सीमा के तौर पर, एक घांस की तीली पकड़ली। रावण ने उस चिन्ह का सम्मान किया, पर साथ ही उससे विवाह करने के लिए उसने सीता को 12 महीनों का वक़्त भी दिया। कड़ी निगरानी में सीता को लंका में रखा गया, जि…
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रावण सीता का अपहरण करके उनके साथ लंका पहुँचा
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विशाल और वृद्ध जटायु को मारने के बाद अब रावण के रास्ते में कोई बाधा नहीं थी। लेकिन सीता अपने आपको छुड़ाने का संघर्ष करती रहीं। कुछ दूरी पर सीता ने पर्वत पर बैठे वानर देखे। उन्होंने उन वानरों बीच अपनी ओढ़नी में ज़ेवर उतारकर फेंक दिए, ये सोचते हुए कि शायद ये वानर सीता को ढूंढने में राम की मद्दद कर पाएँ। पर, किसी कारण, इस बात पर रावण ने ध्यान नहीं दिया। …
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रावण ने किया सीता का हरण, जटायु ने किया बचाने का प्रयास
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जब सीता ने रावण के साथ लंका जाने से मना कर दिया तब रावण ने सीता के बाल पकड़े और एक हाथ से उन्हें उठाकर उग्रता से अपने सुनहरे रथ में बिठाया। पलक झपकते ही वह रथ आकाश में उड़ने लगा और लंका की और बढ़ने लगा। सीता चिल्लाने लगीं, राम और लक्ष्मण को पुकारने लगीं। उनकी दुहाई सुनकर जटायु चौक्कन्ने हो गए और सीता को रावण के चंगुल से बचाने का प्रयास करने लगे। पक्षि…
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रावण ब्राह्मण के भेस में सीता का हरण करने आया
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रावण भिक्षुक के भेस में राम-सीता के आश्रम आया। सीता ने लक्ष्मण की चेतावनी के बावजूद, रावण को ब्राह्मण समझ कर, शापित होने के डर से, उसका आदर सत्कार किया। उसे भोजन खिलाया। फिर सीता ने उसे अपने बारे में बताया। साथ ही उन्होंने रावण का परिचय माँगा। तब रावण ने अपना असली रूप दिखाया और बोला की वह तीनों लोको का राजा है और सीता को अपनी पत्नी बनाना चाहता है। …
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क्या लक्ष्मण ने सच में सीता की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा बनायी थी?
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राम के साथ खेलते खेलते, वह सोने का हिरन उन्हें आश्रम से काफ़ी दूर ले गया। कुछ समय बाद वह हिरन झाड़ियों में जाकर फँस गया। उस ही क्षण, एक ही तीर से राम ने बारहसिंगा रुपी मायावी मारीच को घायल कर दिया। मरते मरते मारीच ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से सीता और लक्षमण को लगा की राम मुसीबत में हैं? सीता ने लक्ष्मण को राम के पास जाकर उनकी मद्दत करने के लिए कैसे …
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मारीच ने सोने के हिरण का रूप धारण किया
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मारीच की बातों का रावण पर कोई असर नहीं हुआ। उल्टा रावण ने ही मारीच को डाँटते धमकाते कहा कि अगर वह रावण की मद्दत नहीं करेगा तो मारा जाएगा। यह सुनकर उसने अपने भाग्य को स्वीकारा और रावण के साथ दण्डकारण्य पहुँचा। मारीच ने, सोने के हिरण का रूप लेकर, सीता को कैसे आकर्षित किया? लक्ष्मण को उसकी असली पहचान कब और कैसे हुई? सच्चाई जाने के बाद भी राम ने हिरण र…
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मारीच रावण को सीता का अपहरण करने से मना करता है।
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जब सीता का अपहरण करने के लिए रावण मारीच को हिरन का रूप लेने के लिए कहता है, तब मारीच घबरा जाता है। वह रावण के राम के बल, साहस, कौशल और बुद्धिमत्ता का अनुमान देने की कोशिश करता है। वह रावण को राम से अपने युद्ध के बारे में भी बताता है। मारीच यहाँ तक कहता है की रावण की एक भूल का मूल्य पूरी लंका को चुकाना पढ़ेगा। लेकिन उसे राक्षस वृत्ति छोड़ने की सुबुद्ध…
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रावण ने सीता का अपहरण करने के लिए मारीच से मद्दत मांगी।
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रावण अब मान गया था कि राम कोई साधारण मनुष्य नहीं थे और उन्हें रोकना राक्षसों की सुरक्षा के लिए आवश्यक हो गया था। वह अपने सुवर्ण रथ में बैठकर तुरंत मारीच से मिलने निकला। रास्ते में उसने दक्षिण भारत में क्या-क्या देखा? वट वृक्ष, सौभद्र का क्या महत्त्व था? जब रावण मारीच के पास पहुँचा तो उसने राम को अधर्मी क्यों बताया? और सीता का अपहरण करने के लिए वह म…
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राम के हाथों खर और दूषण की मृत्यु क्यों और कैसे हुई?
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अब खर की 14000 राक्षसों की सेना और भाई दूषण का विनाश हो गया था। लेकिन इससे पहले की खर मैदान में उतरता, त्रिसिरा ने राम पर आक्रमण करने की इच्छा जताई। पर त्रिसिरा के अनगिनत वर राम के तीन बाणों के सामने फीके पढ़ गए। दूषण और त्रिसिरा की मृत्यु के बाद, खर ने बड़ी ही निपुणता और कौशल से राम का सामना किया। पर राम की दृढ़ता की कोई सीमा नहीं थी। राम के हाथों ख…
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राम ने एक ही बाण से 14000 राक्षसों का वध कैसे किया?
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शूर्पणखा के कान और नाक कटने पर वह पंचवटी से भाग गयी और सीधा अपने भाई खर के पास पहुंची। उसने खर को अपनी और से युद्ध करने के लिए उकसाया। उसने अपने भाई के अभिमान को ललकारते हुए राम और लक्ष्मण का वध करने की चुनौती दी जो खर ने स्वीकारी। पहले उसने 14 भयानक राक्षसों को शूर्पणखा के साथ भेजा। पर राम ने उन्हें मार गिराया। फिर खर खुद 14000 दानवों के साथ राम स…
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लक्ष्मण ने शूर्पणखा की नाक क्यों काट दी?
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चित्रकूट में राम लक्ष्मण सीता ने अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया। वह सुबह-सुबह गोदावरी नदी में नहा कर, अपनी पूजा पाठ करके, आश्रम में विश्राम करते थे। ऐसी ही एक सुबह वहां पर एक राक्षसी आए। राम की छवि देख कर वह उनके प्रति आकर्षित हो गयी। पर जब शूर्पणखा ने राम से अपनी भावना व्यक्त की तब राम ने उसे लक्षमण के पास क्यों भेजा? फिर लक्ष्मण ने अपने भाई के स…
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राम, लक्ष्मण और सीता विशाल गृद्ध जटायु से कैसे मिले?
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पंचवटी जाते समय राम, लक्ष्मण, सीता ने रास्ते में एक विशाल गृद्ध पक्षी को देखा। पहले उन्हें लगा कि यह कोई राक्षस है जो रूप बदलकर बैठा है। जब उन्होंने उस गृद्ध पक्षी से उनका परिचय माँगा तब उन्होंने राम को अपनी उत्पत्ति के बारे में और संसार के जीव जंतुओं के बारे में क्या बताया? जटायु राम, लक्ष्मण और सीता की मद्दत कैसे करना चाहते थे? उनकी मद्दत के कारण…
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राम अगस्त्य मुनि से क्यों मिलना चाहते थे?
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दंडकारण्य में चलते-चलते राम, लक्ष्मण और सीता ने कितने ही पर्वत और नदियां पार करीं, उनसे सम्बंधित कहानियाँ सुनी। वह अलग-अलग रशियों के आश्रम में रहे। कहीं दस महीने कहीं एक साल तो कहीं तीन-चार महीने। फिर वो वापिस सुतीक्ष्ण ऋषि के आश्रम लौटे। वहाँ उन्होंने अगस्त्य मुनि के बारे मे पूछा जो उसी जंगल में रहते थे। ऋषि सुतीक्ष्ण ने उन्हें ऋषि अगस्त्य के बारे…
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धर्म के बारे में राम और सीता का संवाद
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ऋषि शरभंग के जाने के बाद, बाकी ऋषि राम के पास आए। यह ऋषि वेखन वलखिल्य जाती के थे और अलग अलग प्रकार से साधना करते थे। इनका राम से एक ही अनुरोध था कि वह उनकी राक्षसों से रक्षा करें। राम ने उन्हें आश्वासन दिया कि वह अपने धर्म का पालन करते हुए उनकी मद्दद अवश्य करेंगे। ऐसा कह कर वह शरभंग के बताए हुए रास्ते पर ऋषि सुतीक्ष्ण से मिलने निकले। पर यह सब सुनकर…
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जब राम, लक्ष्मण, सीता ने ऋषि शरभंग के दर्शन किए
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विराध को मारकर, उसे मुक्ति दिलाने के बाद, राम समझ गए थे कि घने जंगलों में रहना खतरों से खाली नहीं होगा। इसलिए वह सीता और लक्ष्मण को लेकर तुरंत ऋषि शरभंग के आश्रम की और निकल गए। वह समझते थे कि अब उन्हें एक वनवासी ही इन जंगलों में जीवित रहना सीखा सकतें हैं। पर आश्रम पहुँचने पर उन्होंने देखा कि कोई दैवी, तेजस्वी, सुंदर, शायद खुद देव ही, ऋषि शरभंग के स…
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राम ने सीता को विराध नामक राक्षस से कैसे बचाया?
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होता हैं ना? जब आप पर कोई हमला करे, तो आप सह लेते हैं। पर अगर वही हमला आपके अपनों पर हो रहा हो, तो आप उसे सहन नहीं कर पाते। उस समय आप अपनी निष्पक्षतावाद खो देतें हैं। ऐसा ही कुछ राम के साथ हुआ जब विराध नामक राक्षस ने सीता को हानी पहुँचाने की कोशिश करी। पर लक्ष्मण ने अपना आपा नहीं खोया और डट कर उस राक्षस का सामना किया। ऐसे में विराध ने क्या कहा जिसक…
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राम जब जंगल में थे तो उन्हें काफी राक्चासो का सामना करना पढ़ा परंतु एक राक्छस ने माँ सीता को ही उठा लिया और राम-लष्मन को धमकी देने लगा। उस धमकी पर राम के मन में क्या संदेह आया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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माता अनुसुइया के आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद माता सीता ने बताया कि कैसा रहा उनका बचपन और आखिर कैसे उन्हें राम जैसा हमसफ़र मिला। सीता से स्वयंवर के बाद भी राम ने क्यों विवाह करने में विलम किया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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राम-सीता के जंगल में रहने वहाँ पर क्या उत्पात होने लगा? आखिर क्यों वहाँ से सभी ऋषि राम को छोड़ कर एक दूसरे आश्रम में चले गए? सीता को माँ अनुसूया से क्या साथ मिला? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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भरत और श्री राम की खड़ाऊ का अटूट रिश्ता
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भरत के बापस अयोध्या लौटने के बाद उन्हें कैसी दिखी अयोध्या और भारत ने क्यों महल से एक अलग जगह रह कर साशन किया? भारत ने क्यों राम की खड़ाऊ को निर्णायक बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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भरत ने राम के प्रतिक को कैसे अयोध्या का शाषक बनाया और कैसे अपने भाई को मानाने के सरे प्रियासो के बाद भरत सभी अयोध्यावासियो के साथ बापस लौट गए? बापस जाते वक़्त उन्होंने किस जगह पर विश्राम करने को चुना? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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क्यों राम को वन में नहीं रहना चाहिए?
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राम को पिता का रिण चुकाने की जिद्द पर , ऋषि ने राम को क्या तर्क दिया? आखिर राम को वनवास ना करने के लिए बाकी किन तर्कों का इस्तेमाल किया गया और अंत में श्री राम ने कैसे अपना निर्णय बनाया? जानिए रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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राजा दशरथ के वचन को सर्वोत्तम मान कर राम ने कैसे भरत के सारे तर्कों को नाकारा और कैसे भरत को बापस अयोध्या जाकर राज-पाठ सँभालने के लिए मनाया? जानिये रामायण आज के लिए के इस एपिसोड में कविता पौडवाल के साथ।על ידי HT Smartcast
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